Toyota के लिए बड़ा बदलाव: अमेरिका में लेक्सस का उत्पादन एक ही फैक्ट्री में होगा
2025 में जापानी ऑटो दिग्गज Toyota ने अमेरिका में अपनी प्रीमियम ब्रांड लेक्सस के उत्पादन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। पुराने दो उत्पादन केंद्रों को बंद कर, टोयोटा अब लेक्सस कारों का उत्पादन केवल एक ही प्लांट में केंद्रित करेगा। इसका मुख्य कारण अमेरिका में लगाए गए उच्च आयात शुल्क और टैरिफ हैं, जो कंपनी के लिए लागत बढ़ा रहे थे।
पहले टोयोटा के कैन्टकी स्थित फैक्ट्री में लेक्सस ES सेडान बनती थी और प्रिंसटन, इंडियाना में लेक्सस TX यूटीवी का निर्माण होता था। नई योजना के तहत कैन्टकी फैक्ट्री को बंद कर दिया जाएगा, जिससे उत्पादन पूरी तरह इंडियाना में हो जाएगा। टोयोटा ने इस बदलाव पर अभी आधिकारिक बयान नहीं दिया है, पर बाजार में इस कदम को लागत नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जा रहा है।
इस परिवर्तन का असर रोजगार और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, क्योंकि फैक्ट्री बंद होने से कई कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ सकती हैं। हालांकि इंडियाना फिलहाल उत्पादन कंसॉलिडेशन के कारण बढ़ेगा, लेकिन कैन्टकी में बेरोजगारी की आशंका बनी हुई है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अमेरिकी सरकार की ट्रेड पॉलिसी की चपेट में आने वाली कार कॉरपोरेशन की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
इसी बीच, फोर्ड ने अमेरिका में लगभग डेढ़ मिलियन वाहनों को वापस मंगाने का फैसला किया है। इस रिकॉल का कारण है रियर-व्यू कैमरा में आई समस्या, जिसमें कैमरा ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था और चालक को उल्टा या डिस्टॉर्टेड इमेज दिखा रहा था। यह समस्या सड़क सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक मानी गई है। फोर्ड अपने ग्राहकों के लिए बिना किसी अतिरिक्त खर्च के इन कैमरों का निरीक्षण और बदली का काम करेगा। 2025 में अब तक फोर्ड ने रिकॉर्ड 109 रिकॉल किए हैं, जो सुरक्षा को लेकर कंपनी की सतर्कता को दिखाता है।
2025 में तकनीक भी ऑटोमोबाइल उद्योग में एक बड़ा बदलाव ला रही है। विश्व के सबसे लोकप्रिय कंज्यूमर वकील राल्फ नेडर ने हाल ही में ऑटोमोबाइल सुरक्षा को लेकर चर्चा की, जिसमें उन्होंने आधुनिक वाहनों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग और कड़े सेफ्टी स्टैंडर्ड को बढ़ावा देने का समर्थन किया। उनकी राय में, टेक्नोलॉजी और कड़े नियम मिलकर सड़क दुर्घटनाओं को घटा सकते हैं और ड्राइविंग को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं। टूयोटा, फोर्ड समेत कई कंपनियां इसी दिशा में तेजी से काम कर रही हैं।
चीन की ऑटो इंडस्ट्री भी इस साल अपनी चुनौतियों से जूझ रही है। बीजिंग सरकार ने उद्योग की अति प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए कई प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन कंपनियों को उत्पादन क्षमता और मांग के बीच संतुलन बनाए रखना अभी भी मुश्किल लग रहा है। कंपनियों जैसे कि निओ और डोंगफेंग मोटर की सेल्स में गिरावट आई है, जिससे उन्हें अपने दृष्टिकोण में बदलाव और उत्पादन मॉडल सुधारने पड़ रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और हाई-टेक फीचर्स वाली कारों की मांग बढ़ रही है। अमेरिकी ऑटो सर्विस मार्केट भी 2025 में तेजी से बढ़ा है और तकनीकी advancements के कारण ग्राहकों को बेहतर और अधिक प्रभावी सर्विसेज़ मिलने लगी हैं। कार निर्माता कंपनियां अब EVs और ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी पर भारी निवेश कर रही हैं।
तो कुल मिलाकर, सितंबर 2025 में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बड़े बदलाव, सुरक्षा पर जोर और टिकाऊ वाहनों की ओर बढ़ता रुझान देखनें को मिल रहा है, जो आने वाले वर्षों में सड़क परिवहन का स्वरूप पूरी तरह बदल सकते हैं।